इस लेख को पढ़ने से पहले आपने आप से कुछ सवाल पूछें कि क्या आप इसके लायक है?, आपके पास आत्मसम्मान है? , क्या आप एक मानव हैं? अगर हां, तो कृपया पढ़ना जारी रखे नही तोह स्क्रॉल डाउन कर लें। लड़कियां इस मैसेज कोना पढ़े तोह ज़्यादा अच्छा है।
पहले आपको ये बोल दूँ की मैं पहले नज़र में प्यार पर यकीन करता हूँ। पैदा होते ही हम पहली नज़रो से से किसे देखते हैं? माँ को। जी हां मुझे उन्ही से प्यार है। यह क्या विडंबना है कि जो हमें पीड़ा करे, हमारा पालन पोषण करे, हम उसी का इतना तिरस्कार करते ह। ये बात में सिर्फ मां का नही कर रहा हूँ, पूरे नारी जनसंख्या की ओर इशारा कर रहा हूं। आप बोर हो गए? क्यों है न? हम मानव की कुछ ऐसे हैं।
प्राचीन भारत में नारियों का जो सम्मान था , वो तो अब इतिहास में ही मिल चुका है। नारी जाति आज तिरस्कार, असम्मान, और तुच्छ नज़रों के शिकार हैं। कहते है, हर सफल पुरुष के पीछे एक स्त्री का हाथ होता है। भई बात तो लाख बात की है, पर माने कौन? फिल्मों में मसालेदार नाच देखकर सारे पुरुषों के "खड़े" हो जाते हैं। ये लाइन आपको किसी सस्ते नॉन-वेज जोक का अंश लगा होगा। पर आप भली भांति जानते हैं इसका संकेत किस ओर है।
मेरे विचारों में जो लोग स्त्रियों के खिलाफ दुष्कर्म करते हैं, उनके लिए जेल तो क्या, फांसी भी काफी नहीं है।
एक ज्वलंत उदाहरण हमारे अपने रेस्पेपर पर whoeven है। क्या उनके घर में माँ बेहेन नही है? उनके इन करतूतों से तोह ये पता चलता है कि वे उनके साथ भी यही करते हैं। पथराव कर इन लोगों को मार देना चाहिए। नारी ही सुंदरता का प्रतीक है। अगर उन्ही का इतना नीरादर करोगे, तो भगवान भी मनुष्य की भलाई से मुह मोड़ लेंगें।
मैं चाहता तोह और भी बहुत कुछ लिख सकता हूँ लेकिन मैं कौन होता हूँ ये सब का सलाह देने वाला। में ठहरा 16 साल का बच्चा, दुनिया मेरी बात क्या सुने। मैं जनता हू कहे जाने पर भी कुछ लड़कियां इसे पढ़ रहे है, उनका मैं नमन करता हूँ, वे एक दिन इस संसार में अपना कर्तव्य निभायेंगे। इतना तो मुझे यकीन है ये लड़कियां अपना मस्तक ऊंचा उठाये रख सकेंगे। और जो पुरुष इसे पढ़ रहे हैं, उनसे में कुछ उम्मीद कर सकता हूँ कि नही , ये मैं उनके ऊपर छोड़ देता हूँ।
पर आपके मैन में एक सवाल उठा होगा, की में ये साब क्यों लिख रहा हूँ। और अगर नही भी उठ रहा हो तोह सुन ले कि इसका उत्तर तो मैं भी नही जानता। |
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