प्रिय मित्रों,
मैंने सोचा की आप सभी लोग अंग्रेजी पढ़ पढ़ के पक चुके होंगे, तो क्यों न थोड़ी हिंदी हो जाए। मैं भी सी बी एस सी बारवीं कक्षा की अंग्रेजी से तंग आ चुका हूँ, हालाँकि मैंने अब समझा है की सी बी एस सी में बारवीं कक्षा की अंग्रेजी भी अपने आई सी इस सी की दसवीं की अंग्रेजी से बहुत ज़्यादा कठिन नहीं हैं। सच कहूं तो मुझे अपने पुराने मित्र शेक्सपियर बाबा की याद आ रही है, जो कुछ भी उल्टा सीधा लिख देता था, और जो भी वो लिखता था वो एक नयी भाषा बन जाती थी। मुझे याद आता है वो समय जब Antonio अपने मित्र Bassanio के प्यार में पागल हो गया था, और याद आता है की ज़रुरत के वक्त ही पुरे venice में सबकी जेबें खाली हो गयीं थीं। मुझे आज भी याद है launcelot की वो पागलपंती तथा lorenzo व् jessica का प्रेम प्रसंग जिसमे shylock अकेले ही बजरंग दल बनने चला था। मुझे याद है की portia ने किस तरह shylock को ट्रोल किया था, और फिर antonio ने भी बेचारे के जले पर नमक छिड़कने की कसर नहीं छोड़ी। और ये सब सोचके मुझे फिर याद आती है वो गालियां जो मैंने तहे दिल से शेक्सपियर को सुनाई थीं।
अब मैं आप सभी को उन कहानियों तथा कविताओं के बारे में तो बता नहीं सकता, क्यूंकि आपकी अब अलग हैं, और मुझे अपनी वाली याद नहीं xD. लेकिन मैं समझता हूँ की आप सभी इस मुश्किल घडी में चिंता में होंगे। किसी बालक ने अभी कुछ कहानिया नहीं की होंगी, तो किसी बालिका की कवितायेँ रह गयी होंगी। और ऐसे भी कुछ चैंपियन लोग होंगे जो अभी मर्चेंट ऑफ़ वेनिस शुरू कर रहे होंगे। देखिये इस आखिरी category के बच्चों को तो मैं बस इतना कहूंगा, की दोस्त, फर्रे बना लो, काम आएंगे xD | हाँ लेकिंग पहली दो category के छात्र अभी न डरें। अभी आपके पास समय है। कुछ भी न हो तो काम से काम बचे हुए चैप्टर्स को एक बार जल्दी से पढ़ लें और एक दो सवाल देख लें।
बस एक काम करना आवश्यक है। टेंशन नहीं लेने का। अगर आप टेंशन लेंगे तो force ज़्यादा लगेगी, और रस्सी (दिमाग) टूटने की कगार पर आ जायेगा। और अगर दिमाग टूटने लगा, तो पढ़ा हुआ भी गिर जायेगा, और उसे उठाने में फिर से force लगनी पढ़ेगी। यानी की अखंड टाइम वेस्ट।
एक बहुत ज़रूरी टिप। कोई सवाल न भी आये, तो भी उसे खाली न छोड़ना प्लीज। भले ही वहां question दोबारा कॉपी कर देना, किसी और chapter का answer पेल देना, या बिलकुल कुछ भी नहीं आता हो तो जय माता दी ही लिख डालना, बस खाली मत छोड़ना। मैं ऐसा कह रहा हूँ, इसके पीछे एक कहानी है।
मेरा एक मस्त-मौला मित्र था, जो केवल आखिरी दिन जाकर ही syllabus चेक करके पढाई शुरू करता था। ( ऐसा वो वैसे अब भी करता है ) तो एक बोर्ड के एग्जाम में, शायद वो maths का था, उसने मात्र 94 नंबर का पेपर attempt किया। अब कोई भी आम इंसान तो यही उम्मीद करेगा की 95 में से 90 तो आ ही जाएंगे। मगर हमारे ये मित्र को मिले 97 | इसका कारण तो मुझे यही सूझा की प्रिय examiner सस्ते नशे करता होगा। परन्तु मेरे आदरणीय मित्र ने मुझे बताया, की उसने बचे हुए सवालों में कुछ भी, जो भी उसे सूझा, लिख डाला। मिला जुला के उसे 3 नंबर मिल ही गए। इसे कहते हैं luck!
चलो अब मैं भी वापस अंग्रेजी में माथा मरने जाता हूँ। आप भी जाओ। हो सके तो answer में key-points को अंडरलाइन करके examiner की ज़िन्दगी आसान कर देना, जिससे वो मार्क्स भी आसानी से दे दे!
बोलो शेक्सपियर बाबा की जय! |
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